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UP: गन्ने के दाम पर अड़ी चीनी मिलें, कीमत बढ़ने पर काम रोकने की धमकी दी

时间:2023-11-30 09:57:01 来源:网络整理编辑:मिथुन राशि

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उत्तर प्रदेश की सरकार के लिए गन्ना कड़वाहट की वजह बन सकता है. मनमाफिक रेट तय न होने से नाराज प्रदेश

उत्तर प्रदेश की सरकार के लिए गन्ना कड़वाहट की वजह बन सकता है. मनमाफिक रेट तय न होने से नाराज प्रदेश की 68 प्राइवेट चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई बंद करने की धमकी दे डाली है.हालांकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मिलों में 25 नंवबर और बाकी मिलों में 30 नवंबर तक पेराई शुरु कराने के निर्देश दिए हैं. लेकिन शुगर लॉबी अपनी शर्तों पर अड़ी हुई है. किसान इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर मिलें समय से नहीं चली तो गन्ने के साथ गेहूं की अगली फसल भी खराब हो जाएगी.मुजफ्फरनगर दंगो के बाद यूपी सरकार पहले से ही जाट समुदाय की नाराजगी झेल रही है. यूपी में इस वक्त 40 लाख गन्ना किसानों की फसल तैयार है. इसमें किसानों के लगभग 26 हजार करोड़ रुपये फंसे पड़े हैं. पेराई पहले ही एक महीना लेट हो चुकी है और अब शुगर मिलों ने ऐलान किया है कि अगर उन्हें 225 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा देने पर मजबूर किया गया तो वे पेराई नहीं करेंगे.उत्तर प्रदेश चीनी मिल्स एसोसिएशन के सचिव दीपक गुप्तारा ने बताया,गन्नेकेदामपरअड़ीचीनीमिलेंकीमतबढ़नेपरकामरोकनेकीधमकीदी 'हमने सरकार से निवेदन किया है कि गन्ने की मौजूदा कीमतों या बढ़ी हुई कीमतों पर मिलें चलाना हमारे लिये 2013-14 सत्र के लिये संभव नहीं है. हमने कहा है कि 225 रुपये प्रति क्विंटल हमारी भुगतान क्षमता है. अगर सरकार इससे ज्यादा भुगतान करना चाहती है तो अपने संसाधनों से इसकी पूर्ति कर दे.'यूपी में कुल 101 प्राइवेट हैं और 23 सहकारी चीनी मिलें हैं. पिछले साल कुल 23 हजार करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान था जिसमें चीनी मिलों पर किसानों का अब भी 2300 करोड़ रुपये बकाया हैं. चीनी मिलों का कहना है कि उनके पास 88 लाख टन चीनी का कैरीओवर स्टॉक भी पड़ा हुआ हैं, जिसके चलते बाजार में चीनी के भाव कम हैं. पिछले साल गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 280 रुपये प्रति क्विंटल था, जिसमें इस साल 23 रुपये की बढ़ोतरी प्रस्तावित है. चीनी मिलों की मांग है कि उत्तर प्रदेश सरकार रंगराजन कमेटी की सिफारिशों को लागू करें जिसमें गन्नें की कीमत को चीनी के बाजार मूल्य से जोड़ने की बात कही गई है.लेकिन किसानों का कहना है कि शुगर लॉबी मुनाफा बढ़ानें के लिये दबाव की रणनीति अपना रही है. किसान जागृति मंच के अध्यक्ष सुधीर पवार ने कहा, 'अगर ये फैक्ट्री नही चलाते तो चीनी के दाम बढ़ाना निश्चित है. लेकिन मुझे यह लगता है कि यह दबाव की रणनीति है. या तो ये लेट शुरु करना चाहते है या दबाव में लेकर केंद्र और यूपी सरकार से आर्थिक मदद चाहते हैं. मिल न चलने की कोई वजह नहीं है. मिल पर तो 50 लाख किसान निर्भर हैं. 26 हजार करोड़ रुपया फंसा हुआ है इस फसल में. इतनी आसानी से थोड़े ही मिल मालिक कह देगें कि हम मिल नहीं चलाएंगे. किसानों के सड़को पर आने की देर है बस. हमें लग रहा है कि वह दिन दूर नहीं है जब उनके साथ दुर्व्यवहार होना शुरु हो जाएंगे.'पवार ने कहा कि उनकी मांग है कि लागत मूल्य के आधार पर सरकार जो मुनासिब समझे, कीमत निर्धारित करके तुरंत मिल चलवाई जाएं. आज की लागत जो प्रदेश सरकार ने या उसके विश्वविद्यालय या संस्थान ने मानी है वह है 251 से 257 रुपये.हालांकि सरकार ने इस मामलें पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. लेकिन सरकार के आला अफसरों का कहना है कि उनकी पहली प्राथमिकता गन्ने के रेट तय करने की हैं. चीनी उद्योग व गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव राहुल भटनागर ने कहा, 'बस हमारा अगला कदम है कीमतें घोषित करना. हमारी गन्ना आयुक्त बैठक कर चुके हैं. बहुत सारी मिलों ने हमें काम शुरू करने की तारीखें लिखकर दी हैं. ये जरुर है कि जो बड़े ग्रुप है उन्होनें नहीं दिया है. लेकिन सहकारी मिलें 25 नवंबर तक चल जाएंगी.'(साथ में लखीमपुर खीरी से अभिषेक वर्मा)